झाबुआ में खाद्य संकट पर आम आदमी पार्टी (AAP) का संघर्ष: कमलेश सिंगाड़ के नेतृत्व में किसानों की लड़ाई

झाबुआ में खाद्य संकट पर आम आदमी पार्टी (AAP) का संघर्ष: कमलेश सिंगाड़ के नेतृत्व में किसानों की लड़ाई

**प्रस्तावना**
  
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में गहराता खाद्य संकट और किसानों की दय-ब-दय उपेक्षा ने स्थानीय राजनीति को नई दिशा दी है। आम आदमी पार्टी (AAP) के जिला अध्यक्ष कमलेश सिंगाड़ के नेतृत्व में किसानों और आदिवासी समुदायों ने प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद की है।  विस्तृत ज्ञापन में AAP आम आदमी पार्टी ने झाबुआ के खाद्य संकट, किसानों की समस्याओं और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है, साथ ही मांगों की एक स्पष्ट रूपरेखा प्रस्तुत की है।  



भूमिका: झाबुआ का संदर्भ**  

झाबुआ मध्य प्रदेश का एक आदिवासी-बहुल जिला है, जहाँ कृषि और वन संपदा जीवनयापन का मुख्य आधार है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सूखा, फसलों का उचित मूल्य न मिलना, सरकारी योजनाओं का लाभ न पहुँचना और खाद्यान्न की कमी ने यहाँ के निवासियों को गंभीर संकट में डाल दिया है। AAP ने इन्हीं मुद्दों को उठाते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।  

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खाद्य संकट के मुख्य कारण**  

1. **फसल विफलता और सूखा**  

   - अनियमित मानसून और जल संकट के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं।  
   - सरकारी आंकड़ों के अनुसार, झाबुआ के 60% गाँवों में खरीफ और रबी फसलों का उत्पादन 50% तक गिरा है।  

   - किसानों को मुआवजा न मिलना, बीमा योजनाओं का लाभ न पहुँचना।  
   - PM-KISAN और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आदिवासी किसानों तक नहीं पहुँच रहा।  

3. **खाद्यान्न वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार**  

   - PDS (Public Distribution System) दुकानों पर राशन की कालाबाजारी।  
   - गरीबों को उचित मात्रा में अनाज न मिलना।  

4. **कृषि ऋण और कर्ज़ का बोझ** 



   - साहूकारों और बैंकों के कर्ज़ में डूबे किसान आत्महत्या को मजबूर।  



### **आम आदमी पार्टी की भूमिका**  
कमलेश सिंगाड़ के नेतृत्व में AAP ने झाबुआ के गाँव-गाँव में जाकर किसानों की समस्याओं को दर्ज किया और एक व्यापक ज्ञापन तैयार किया। इस ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें शामिल हैं:  

1. तत्काल खाद्य सहायता**  

   - PDS प्रणाली को पारदर्शी बनाने की मांग।  
   - सभी गरीब परिवारों को अतिरिक्त अनाज वितरण।  

2. किसानों के लिए मुआवजा और ऋण माफी**  

   - फसल बीमा योजना का त्वरित क्रियान्वयन।  
   - कर्ज़माफी और नए कृषि ऋण की व्यवस्था।  

3. सिंचाई सुविधाओं का विस्तार**  

   - नहरों, कुँओं और तालाबों का जीर्णोद्धार।  
   - सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों की स्थापना।  

4. प्रशासनिक जवाबदेही** 

   - भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई।  
   - ग्राम सभाओं को अधिकार संपन्न बनाना।  

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ज्ञापन का प्रभाव और आगे की रणनीति**  
- AAP ने धरना-प्रदर्शन कर जिला प्रशासन को मजबूर किया कि वह 15 दिनों के भीतर इन मांगों पर कार्रवाई का ब्यौरा दे।  
- सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया के माध्यम से इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जा रहा है।  
- यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो AAP राज्य सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी में है।  

निष्कर्ष 

झाबुआ का खाद्य संकट केवल अनाज की कमी का मुद्दा नहीं, बल्कि सरकारी उपेक्षा और व्यवस्थागत विफलता का प्रतीक है। आम आदमी पार्टी ने कमलेश सिंगाड़ के नेतृत्व में किसानों की आवाज बनकर एक ठोस पहल की है। अब यह प्रशासन और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस ज्ञापन को गंभीरता से ले और झाबुआ के लोगों को न्याय दिलाए।  

**"रोटी, इंसाफ और आदमी" के नारे के साथ AAP झाबुआ में एक नए राजनीतिक परिवर्तन का सूत्रपात कर रही है।

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